The News Reader 365
हम सभी जानते है की परमाणु बॉम्ब कितना खतरनाक होता है परमाणु बम को अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के समय अगस्त 6 और अगस्त 9, 1945 को जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर छोड़ा था ये कितना खतरनाक है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि उस समय छोड़े गए परमाणु बम का असर आज भी वहां के लोगों के पर होता है वहां पर खरगोश बिना कान वाले पैदा होते है वहां पर जो भी बच्चे जन्म लेते हैं वह किसी न किसी तरह से अपाहिज रहते हैं उनके शरीर में कोई न कोई समस्या होती है पर क्या आप जानते है परमाणु बम का इस्तेमाल महाभारत काल में भी हुआ था महाभारत काल में भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया गया था और ब्रह्मास्त्र असलियत में टम बम ही था। ।

जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर को 'ऐटम बम का पापा' Father of atom bomb कहा जाता है परमाणु बम को बनाने वाले जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर जब एटम बम को बनाने के बाद टेस्ट करने में सफल रहे रहे तो उन्होंने भगवद् गीता का श्लोक दोहराया और कहा -
"We knew the world would not be the same. Few people laughed, few people cried, most people were silent.
I remembered the line from the Hindu scripture, the Bhagavad-Gita. Vishnu is trying to persuade the Prince that he should do his duty and to impress him takes on his multi-armed form and says, "Now I am become Death, the destroyer of worlds."
I suppose we all thought that, one way or another.
- Robert Oppenheimer
जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने परमाणु बम के परीक्षण के बाद ये कहा
"मुझे हिंदू धर्मग्रंथ भगवद् गीता की वह पंक्ति याद है जहां विष्णु , राजकुमार अर्जुन को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि उसे अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। उसे प्रभावित करने के लिए, अपने विश्वरूप को दिखाते हैं और कहते हैं कि अब मैं मृत्यु हूँ, दुनिया का काल। मेरी तरह सबने ही इसे अपने तरह से समझा।"

अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए भगवान श्री कृष्ण
मैं सर्वभक्षी मृत्यु हूँ और मैं ही आगे होने वालों को उत्पन्न करने वाला हूँ | स्त्रियों में मैं कीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति तथा क्षमा हूँ |
दैत्यानाम्– असुरों में; कालः– काल; कलयताम्– दमन करने वालों में;
दैत्यों में मैं भक्तराज प्रह्लाद हूँ, दमन करने वालों में काल हूँ, पशुओं में सिंह हूँ, तथा पक्षियों में गरुड़ हूँ |
वसूनाम्– वसुओं में; पावकः– अग्नि; च– भी; अस्मि– हूँ;
मैं समस्त रुद्रों में शिव हूँ, यक्षों तथा राक्षसों में सम्पत्ति का देवता हूँ, वसुओं में अग्नि हूँ और समस्त पर्वतों में मेरु हूँ |
इन तीन श्लोकों से स्पष्ट होता है की श्री कृष्ण भगवान ही मृत्यु यानी काल हैं, अग्नि भी वे ही हैं।
जैसा की हम सब जानते हैं की परमाणु बम भी अग्नि और मृत्यु का समागम है, इसीलिए ओपेनहाइमर ने भागवद गीता का वर्णन किया।
कौन है जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर
जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर का जन्म न्यूयॉर्क, न्यूयॉर्क में 22 अप्रैल 1 9 04 को हुआ था। इन्हे 'ऐटम बम का पापा' Father of atom bomb कहा जाता है जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर एक theoretical physicist और अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्स्टी में भौतिक विज्ञान के प्रौफेसर थे। इन्होंने बचपन में ही अपनी scientific intellect का जायजा देते हुए 10 वर्ष की उम्र में ही खनिज, भौतिकी और रसायन शास्त्र को पढ़ना शुरू कर दिया था।
दूसरे विश्व युद्ध के समय जब अमेरिका को यह पता चला की जर्मनी परमाणु हथियार बना कर रहा है तो अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने अपने परमाणु हथियार बनाने के लिए मैनहट्टन प्रोजेक्ट नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की। दुनिया में तबाही मचाने वाले परमाणु बम का आविष्कार अमेरिकी मूल के वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर(J Robert Oppenheimer) ने किया था. उनकी देखरेख में पहला एटम बम (Atom Bomb) परीक्षण 16 जुलाई 1945 को अमेरिका में किया गया था.जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर का मानना था कि महाभारत काल में भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया गया था और ब्रह्मास्त्र असलियत में ऐटम बम ही था। इसके बारे में महाभारत में जानकारी मिलती है की जहा पर ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता था वहा पर 12 वर्ष तक जीवन नहीं पनपता है , सूखा पड़ जाता है वहा पर हरियाली नहीं आती और जब अमेरिका ने जापान में परमाणु बम गिराया था तो वहा भी ऐसा हुआ था
भारत में परमाणु बम
1945 में सफल न्यूकलीयर टेस्ट करने वाले अमेरिका को भारत के न्यूकलीयर टेस्ट करने से ऐतराज़ था अमेरिका नही चाहता था की भारत के परमाणु सम्पन्न राष्ट्र बने भारत में परमाणु योजना का जनक ‘होमी जहांगीर भाभा’ को माना जाता है। यह होमी भाभा की ही सफल कोशिशें हैं जिस वजह से आज भारत को भी विश्व स्तर पर परमाणु शक्ति के रूप में स्वीकारा गया।
भारत ने कैसे परमाणु परीक्षण किया

- दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA भारत पर नजर रखे हुए थी और उसने पोकरण पर निगरानी रखने के लिए 4 सैटलाइट लगाए थे। हालांकि भारत ने CIA और उसके सैटलाइटों को चकमा देते हुए परमाणु परीक्षण कर दिया।
- इस प्रॉजेक्ट के साथ जुड़े वैज्ञानिक कुछ इस कदर सतर्कता बरत रहे थे कि वे एक दूसरे से भी कोड भाषा में बात करते थे और एक दूसरे को छद्म नामों से बुलाते थे। ये झूठे नाम इतने हो गए थे कि कभी-कभी तो साथी वैज्ञानिक एक दूसरे का नाम भूल जाते थे।
सेना की वर्दी में वैज्ञानिक
- उस दिन सभी को आर्मी की वर्दी में परीक्षण स्थल पर ले जाया गया था ताकि खुफिया एजेंसी को यह लगे कि सेना के जवान ड्यूटी दे रहे हैं।
- 'मिसाइलमैन' अब्दुल कलाम भी सेना की वर्दी में वहां मौजूद थे। बाद में इसकी तस्वीरें भी सामने आई थीं, जिसमें पूरी टीम सेना की वर्दी में दिखाई पड़ी।
- बताते हैं कि डॉ. कलाम को कर्नल पृथ्वीराज का छद्म नाम दिया गया था और वह कभी ग्रुप में टेस्ट साइट पर नहीं जाते थे। वह अकेले जाते जिससे किसी को भी उन पर शक न हो।
- 10 मई की रात को योजना को अंतिम रूप देते हुए ऑपरेशन को 'ऑपरेशन शक्ति' नाम दिया गया।
ट्रक से तड़के पहुंचा बम
- तड़के करीब 3 बजे परमाणु बमों को सेना के 4 ट्रकों के जरिए ट्रांसफर किया गया। इससे पहले इसे मुंबई से भारतीय वायु सेना के प्लेन से जैसलमेर बेस लाया गया था।
ताजमहल और कुंभकरण जैसे कोडवर्ड्स
- ऑपरेशन के दौरान दिल्ली के ऑफिस में कुछ इस तरह से बातें की जाती थीं, जैसे- क्या स्टोर आ चुका है? परमाणु बम के एक दस्ते को 'ताजमहल' कहा जा रहा था। अन्य कोड वर्ड्स थे वाइट हाउस और कुंभकरण।
- परीक्षण के लिए पोकरण को ही चुना गया था क्योंकि यहां मानव बस्ती बहुत दूर थी। आपको बता दें कि जैसलमेर से 110 किमी दूर जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर पोकरण एक प्रमुख कस्बा है।
बड़े कुएं खोदे गए थे
- वैज्ञानिकों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए रेगिस्तान में बड़े कुएं खोदे और इनमें परमाणु बम रखे गए। कुओं पर बालू के पहाड़ बनाए गए जिन पर मोटे-मोटे तार निकले हुए थे।
- धमाके से आसमान में धुएं का गुबार उठा और विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा बन गया था। इससे कुछ दूरी पर खड़ा 20 वैज्ञानिकों का समूह पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए था।

- पोकरण परीक्षण रेंज पर 5 परमाणु बम के परीक्षणों से भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया, जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
- परीक्षण के बाद वाजपेयी ने ऐलान किया, 'आज, 15.45 बजे भारत ने पोकरण रेंज में अंडरग्राउड न्यूक्लियर टेस्ट किया'। वह खुद धमाके वाली जगह पर गए थे।कलाम ने टेस्ट के सफल होने की घोषणा की थी।
भारत पर था दबाव
- कलाम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस समय भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी ज्यादा था लेकिन तत्कालीन पीएम वाजपेयी ने तय किया था कि वह आगे बढ़कर परीक्षण करेंगे। इसके साथ ही भारत एक परमाणु ताकत बना।
- भारत के इन परमाणु परीक्षणों की सफलता से दुनियाभर में भारत की धाक जम गई। केंद्र में वाजपेयी की सरकार बने सिर्फ तीन महीने हुए थे और हर कोई इस बात से हैरान था कि इतनी जल्दी वाजपेयी ने इतना बड़ा कदम कैसे उठा लिया।
- हालांकि वाजपेयी ने यह भी कहा था कि हम पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। जिन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं हैं, भारत उनके खिलाफ इन हथियारों का इस्तेमाल कभी नहीं करेगा।
भारत में परमाणु योजना का जनक ‘होमी जहांगीर भाभा’ को माना जाता है। यह होमी भाभा प्रयास के ही फलस्वरूप आज भारत भी विश्व स्तर पर परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र है ।
होमी जहांगीर भाभा के बारे में

होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को समृद्ध पारसी परिवार में हुआ था. उनके पिता जहांगीर होर्मुसजी भाभा एक मशहूर वकील थे. होमी की शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथरेडल एंड जॉन कैनन स्कूल में हुई थी. ऑनर्स से सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास करने के बाद वे एल्फिस्टोन कॉलेज में पढ़े.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाभा
भारत आने के बाद से ही भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने का सपना देखा था और इसके लिए कांग्रेस नेताओं को भी प्रेरित करते रहे. यही कारण था 1948 में प्रधानमंत्री नेहरू ने डॉ भाभा को न्यूक्लियर प्रोग्राम का अध्यक्ष बनाया. 1950 में डॉ भाभा ने इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी के सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. 1955 में उन्होंने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र की आणविक ऊर्जा के शांतिपूर्वक उपयोग पर हुए सम्मेलन की अध्ययक्षता की.
हम सभी जानते है की परमाणु बॉम्ब कितना खतरनाक होता है परमाणु बम को अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के समय अगस्त 6 और अगस्त 9, 1945 को जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर छोड़ा था ये कितना खतरनाक है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि उस समय छोड़े गए परमाणु बम का असर आज भी वहां के लोगों के पर होता है वहां पर खरगोश बिना कान वाले पैदा होते है वहां पर जो भी बच्चे जन्म लेते हैं वह किसी न किसी तरह से अपाहिज रहते हैं उनके शरीर में कोई न कोई समस्या होती है पर क्या आप जानते है परमाणु बम का इस्तेमाल महाभारत काल में भी हुआ था महाभारत काल में भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया गया था और ब्रह्मास्त्र असलियत में टम बम ही था। ।

जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर को 'ऐटम बम का पापा' Father of atom bomb कहा जाता है परमाणु बम को बनाने वाले जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर जब एटम बम को बनाने के बाद टेस्ट करने में सफल रहे रहे तो उन्होंने भगवद् गीता का श्लोक दोहराया और कहा -
"We knew the world would not be the same. Few people laughed, few people cried, most people were silent.
I remembered the line from the Hindu scripture, the Bhagavad-Gita. Vishnu is trying to persuade the Prince that he should do his duty and to impress him takes on his multi-armed form and says, "Now I am become Death, the destroyer of worlds."
I suppose we all thought that, one way or another.
- Robert Oppenheimer
जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने परमाणु बम के परीक्षण के बाद ये कहा
"मुझे हिंदू धर्मग्रंथ भगवद् गीता की वह पंक्ति याद है जहां विष्णु , राजकुमार अर्जुन को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि उसे अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। उसे प्रभावित करने के लिए, अपने विश्वरूप को दिखाते हैं और कहते हैं कि अब मैं मृत्यु हूँ, दुनिया का काल। मेरी तरह सबने ही इसे अपने तरह से समझा।"
अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए भगवान श्री कृष्ण
●गीता के 10वें अध्याय का 34वां श्लोक
मृत्युः सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च भविष्यताम् ।
कीर्तिः श्रीर्वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा ॥
मृत्युः– मृत्यु; सर्व-हरः– सर्वभक्षी; च– भी; अहम्– मैं हूँ;
मैं सर्वभक्षी मृत्यु हूँ और मैं ही आगे होने वालों को उत्पन्न करने वाला हूँ | स्त्रियों में मैं कीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति तथा क्षमा हूँ |
●गीता के 10वें अध्याय का 30वां श्लोक
प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम् ।
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम् ॥
दैत्यानाम्– असुरों में; कालः– काल; कलयताम्– दमन करने वालों में;
दैत्यों में मैं भक्तराज प्रह्लाद हूँ, दमन करने वालों में काल हूँ, पशुओं में सिंह हूँ, तथा पक्षियों में गरुड़ हूँ |
●गीता के 10वें अध्याय का 23वां श्लोक
रुद्राणां शंकरश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम् ।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम् ॥
वसूनाम्– वसुओं में; पावकः– अग्नि; च– भी; अस्मि– हूँ;
मैं समस्त रुद्रों में शिव हूँ, यक्षों तथा राक्षसों में सम्पत्ति का देवता हूँ, वसुओं में अग्नि हूँ और समस्त पर्वतों में मेरु हूँ |
इन तीन श्लोकों से स्पष्ट होता है की श्री कृष्ण भगवान ही मृत्यु यानी काल हैं, अग्नि भी वे ही हैं।
जैसा की हम सब जानते हैं की परमाणु बम भी अग्नि और मृत्यु का समागम है, इसीलिए ओपेनहाइमर ने भागवद गीता का वर्णन किया।
कौन है जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर
जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर का जन्म न्यूयॉर्क, न्यूयॉर्क में 22 अप्रैल 1 9 04 को हुआ था। इन्हे 'ऐटम बम का पापा' Father of atom bomb कहा जाता है जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर एक theoretical physicist और अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्स्टी में भौतिक विज्ञान के प्रौफेसर थे। इन्होंने बचपन में ही अपनी scientific intellect का जायजा देते हुए 10 वर्ष की उम्र में ही खनिज, भौतिकी और रसायन शास्त्र को पढ़ना शुरू कर दिया था।
दूसरे विश्व युद्ध के समय जब अमेरिका को यह पता चला की जर्मनी परमाणु हथियार बना कर रहा है तो अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने अपने परमाणु हथियार बनाने के लिए मैनहट्टन प्रोजेक्ट नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की। दुनिया में तबाही मचाने वाले परमाणु बम का आविष्कार अमेरिकी मूल के वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर(J Robert Oppenheimer) ने किया था. उनकी देखरेख में पहला एटम बम (Atom Bomb) परीक्षण 16 जुलाई 1945 को अमेरिका में किया गया था.जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर का मानना था कि महाभारत काल में भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया गया था और ब्रह्मास्त्र असलियत में ऐटम बम ही था। इसके बारे में महाभारत में जानकारी मिलती है की जहा पर ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता था वहा पर 12 वर्ष तक जीवन नहीं पनपता है , सूखा पड़ जाता है वहा पर हरियाली नहीं आती और जब अमेरिका ने जापान में परमाणु बम गिराया था तो वहा भी ऐसा हुआ था
भारत में परमाणु बम
1945 में सफल न्यूकलीयर टेस्ट करने वाले अमेरिका को भारत के न्यूकलीयर टेस्ट करने से ऐतराज़ था अमेरिका नही चाहता था की भारत के परमाणु सम्पन्न राष्ट्र बने भारत में परमाणु योजना का जनक ‘होमी जहांगीर भाभा’ को माना जाता है। यह होमी भाभा की ही सफल कोशिशें हैं जिस वजह से आज भारत को भी विश्व स्तर पर परमाणु शक्ति के रूप में स्वीकारा गया।
भारत ने कैसे परमाणु परीक्षण किया

- दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA भारत पर नजर रखे हुए थी और उसने पोकरण पर निगरानी रखने के लिए 4 सैटलाइट लगाए थे। हालांकि भारत ने CIA और उसके सैटलाइटों को चकमा देते हुए परमाणु परीक्षण कर दिया।
- इस प्रॉजेक्ट के साथ जुड़े वैज्ञानिक कुछ इस कदर सतर्कता बरत रहे थे कि वे एक दूसरे से भी कोड भाषा में बात करते थे और एक दूसरे को छद्म नामों से बुलाते थे। ये झूठे नाम इतने हो गए थे कि कभी-कभी तो साथी वैज्ञानिक एक दूसरे का नाम भूल जाते थे।
सेना की वर्दी में वैज्ञानिक
- उस दिन सभी को आर्मी की वर्दी में परीक्षण स्थल पर ले जाया गया था ताकि खुफिया एजेंसी को यह लगे कि सेना के जवान ड्यूटी दे रहे हैं।
- 'मिसाइलमैन' अब्दुल कलाम भी सेना की वर्दी में वहां मौजूद थे। बाद में इसकी तस्वीरें भी सामने आई थीं, जिसमें पूरी टीम सेना की वर्दी में दिखाई पड़ी।
| सेना की वर्दी में कलाम व अन्य वैज्ञानिक |
- बताते हैं कि डॉ. कलाम को कर्नल पृथ्वीराज का छद्म नाम दिया गया था और वह कभी ग्रुप में टेस्ट साइट पर नहीं जाते थे। वह अकेले जाते जिससे किसी को भी उन पर शक न हो।
- 10 मई की रात को योजना को अंतिम रूप देते हुए ऑपरेशन को 'ऑपरेशन शक्ति' नाम दिया गया।
ट्रक से तड़के पहुंचा बम
- तड़के करीब 3 बजे परमाणु बमों को सेना के 4 ट्रकों के जरिए ट्रांसफर किया गया। इससे पहले इसे मुंबई से भारतीय वायु सेना के प्लेन से जैसलमेर बेस लाया गया था।
ताजमहल और कुंभकरण जैसे कोडवर्ड्स
- ऑपरेशन के दौरान दिल्ली के ऑफिस में कुछ इस तरह से बातें की जाती थीं, जैसे- क्या स्टोर आ चुका है? परमाणु बम के एक दस्ते को 'ताजमहल' कहा जा रहा था। अन्य कोड वर्ड्स थे वाइट हाउस और कुंभकरण।
- परीक्षण के लिए पोकरण को ही चुना गया था क्योंकि यहां मानव बस्ती बहुत दूर थी। आपको बता दें कि जैसलमेर से 110 किमी दूर जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर पोकरण एक प्रमुख कस्बा है।
बड़े कुएं खोदे गए थे
- वैज्ञानिकों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए रेगिस्तान में बड़े कुएं खोदे और इनमें परमाणु बम रखे गए। कुओं पर बालू के पहाड़ बनाए गए जिन पर मोटे-मोटे तार निकले हुए थे।
- धमाके से आसमान में धुएं का गुबार उठा और विस्फोट की जगह पर एक बड़ा गड्ढा बन गया था। इससे कुछ दूरी पर खड़ा 20 वैज्ञानिकों का समूह पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए था।
- पोकरण परीक्षण रेंज पर 5 परमाणु बम के परीक्षणों से भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया, जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
- परीक्षण के बाद वाजपेयी ने ऐलान किया, 'आज, 15.45 बजे भारत ने पोकरण रेंज में अंडरग्राउड न्यूक्लियर टेस्ट किया'। वह खुद धमाके वाली जगह पर गए थे।कलाम ने टेस्ट के सफल होने की घोषणा की थी।
भारत पर था दबाव
- कलाम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस समय भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी ज्यादा था लेकिन तत्कालीन पीएम वाजपेयी ने तय किया था कि वह आगे बढ़कर परीक्षण करेंगे। इसके साथ ही भारत एक परमाणु ताकत बना।
- भारत के इन परमाणु परीक्षणों की सफलता से दुनियाभर में भारत की धाक जम गई। केंद्र में वाजपेयी की सरकार बने सिर्फ तीन महीने हुए थे और हर कोई इस बात से हैरान था कि इतनी जल्दी वाजपेयी ने इतना बड़ा कदम कैसे उठा लिया।
- हालांकि वाजपेयी ने यह भी कहा था कि हम पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। जिन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं हैं, भारत उनके खिलाफ इन हथियारों का इस्तेमाल कभी नहीं करेगा।
भारत में परमाणु योजना का जनक ‘होमी जहांगीर भाभा’ को माना जाता है। यह होमी भाभा प्रयास के ही फलस्वरूप आज भारत भी विश्व स्तर पर परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र है ।
होमी जहांगीर भाभा के बारे में
होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को समृद्ध पारसी परिवार में हुआ था. उनके पिता जहांगीर होर्मुसजी भाभा एक मशहूर वकील थे. होमी की शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथरेडल एंड जॉन कैनन स्कूल में हुई थी. ऑनर्स से सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास करने के बाद वे एल्फिस्टोन कॉलेज में पढ़े.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाभा
भारत आने के बाद से ही भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने का सपना देखा था और इसके लिए कांग्रेस नेताओं को भी प्रेरित करते रहे. यही कारण था 1948 में प्रधानमंत्री नेहरू ने डॉ भाभा को न्यूक्लियर प्रोग्राम का अध्यक्ष बनाया. 1950 में डॉ भाभा ने इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी के सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. 1955 में उन्होंने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र की आणविक ऊर्जा के शांतिपूर्वक उपयोग पर हुए सम्मेलन की अध्ययक्षता की.